( तर्ज - किस देवतानें आज मेरा ० )
मनमें नही अब धीर ,
वो रघुबीर कब मिले ? ।
वह भक्तके अधार प्राण ,
जानसे भले ॥ टेक ॥
उमर जा रही , न याद आती है कभी ।
क्या करे किसे धरे ,
वो श्याम कब मिले ? ॥१ ॥
कहो कोई जडीबुटीको ,
पीके मर गये ।
व्यर्थ जिया है मेरा ,
वो श्याम कब मिले ? ॥२ ॥
दम न रहे दममें ,
चित्त भौंर खा रहा ।
तुकड्या कहे वो भक्तका ,
रघुवीर कब मिले ? ॥ ३ ॥
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